TRAGEDY OF LIFE IS NOT DEATH, BUT WHAT WE LET INSIDE US DIE WHILE WE ARE ALIVE!!!

Friday, April 14, 2023

नारी

नारी! क्या तू अबला है?
तो फिर शक्ति कौन है?
तू ही बता बिन तेरे
इन्सान की उक्ति कौन है?

इन्सान को बनाती है तू,
इन्सान को पलती-बहलाती है तू,
भूले भटके इंसान को
बड़े प्यार से फुसलाती समझाती है तू|

फिर ठुकराता तुझे  इन्सान
बेकार समझ भूलता तुम्हे इन्सान
धुंधली होती खामोश तस्वीर से
मिटाना चाहता तुम्हे इन्सान|

कभी सोचता हूँ की इस जग में
आखिर तुम्हारी ऐसी क्यों गति है
कुछ भी करता इन्सान...भटकता विरहता
और बनती तुम ही क्यों सती-सावित्री है?

हर मांग तुझसे ही है
हर आशा तुझसे ही है
फिर भी घिसे पिटे इस जीवन में
दुःख की हर परिभाषा तुझसे ही है!

समय आ गया है, मुंह खोलो,
समय आ गया है, कुछ तो बोलो,    
कब तक बैठोगी आंसू बहाते
उठो, अपनी किस्मत का टला खुद खोलो!

नारी! अपनी शक्ति का एहसास करो
निकलो! इस निर्लज्ज जग का परिहाश करो,
चलो प्रज्वलित करो अपनी दिव्याग्नी
न हो फिर कोई रेणुका, न जमदग्नि|

लो अपनी शक्ति अपने हाथों में
उठाओ कदम और निर्भय चलो तूफानों में
सुनो साहिल की...साहिल को है विश्वास
तुम सिर्फ अपनी नहीं, सम्पूर्ण जग की हो आस!

1 comment:

  1. hai nahi kamjoor aaj ki nari,
    hai uske andar chamtaoon ka ghar.
    hai intazar kari samay ka ,
    jab mile use uchit avsar.

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