TRAGEDY OF LIFE IS NOT DEATH, BUT WHAT WE LET INSIDE US DIE WHILE WE ARE ALIVE!!!

Monday, March 21, 2011

२१वी सदी की बेबसी...

२१वी सदी है,
क्या दिन हैं,
क्या ज़माना है,
आधुनिक युग है,
बड़ा शानदार फ़साना है|

बहुत ही खुश हूँ  आज,
देखकर आदमी के
क़दमों को... 
उसकी तरक्की को...
बड़ा ही अभिमान आता है 
आज...
की आज 
वो सबकुछ बना सकता है|

बस इतना-सा गम 
कहीं बच गया है, 
की अभी भी 
बेबस बेसहारा कितना है वो...
लाख चाहे पर,
आदमी को इन्सान नहीं बना पता है|

No comments:

Post a Comment